खानदानी प्रॉपर्टी पर कितना देना पड़ता है टैक्स, जाने टैक्स का पूरा हिसाब किताब Property Tax Rules

Category: latest-news » Post by: Lalchand » Update: 2025-04-30

Property Tax Rules, Property Tax Rules In Hindi, Property Tax Rules 2025 - अगर आपको अपने दादा-पिता से विरासत में कोई प्रॉपर्टी मिली है और आप उसे बेचने की सोच रहे हैं, तो यह जानना बेहद जरूरी है कि इस पर टैक्स का प्रावधान है। बहुत से लोग सोचते हैं कि विरासत में मिली संपत्ति पर कोई टैक्स नहीं देना होता, लेकिन ऐसा नहीं है। भारत के टैक्स कानूनों के मुताबिक, जब आप विरासत में मिली संपत्ति को बेचते हैं, तो उस पर पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) देना होता है।

खानदानी प्रॉपर्टी पर कितना देना पड़ता है टैक्स, जाने टैक्स का पूरा हिसाब किताब Property Tax Rules

Property Tax Rules - टैक्स का प्रकार कैसे तय होता है?

विरासत में मिली संपत्ति पर टैक्स की गणना इस बात पर निर्भर करती है कि आपने संपत्ति को कितने समय तक अपने पास रखा है:

  • अगर 24 महीने से ज्यादा समय तक प्रॉपर्टी रखी गई है, तो यह दीर्घकालिक पूंजीगत संपत्ति (Long Term Capital Asset) मानी जाएगी।
  • अगर 24 महीने से कम समय तक प्रॉपर्टी रखी गई है, तो इसे अल्पकालिक पूंजीगत संपत्ति (Short Term Capital Asset) माना जाएगा।

दीर्घकालिक लाभ पर टैक्स की दर कम होती है और कुछ विशेष छूटें भी उपलब्ध होती हैं।

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पूंजीगत लाभ की गणना कैसे होती है?

मान लीजिए आपको विरासत में एक प्रॉपर्टी मिली है, जिसमें:

  • आपका और एक अन्य सह-उत्तराधिकारी का हिस्सा 1/14वां है।
  • साथ ही अन्य उत्तराधिकारियों से 6/14वां हिस्सा भी प्राप्त हुआ है।

अब पूंजीगत लाभ की गणना इस तरह से होती है:

  • बिक्री मूल्य – (अधिग्रहण लागत + सुधार लागत + बिक्री खर्च) = पूंजीगत लाभ

अधिग्रहण लागत क्या होती है?

  • अधिग्रहण लागत वह कीमत होती है, जो आपके पूर्वजों ने संपत्ति खरीदते समय चुकाई थी।
  • अगर प्रॉपर्टी 1 अप्रैल 2001 से पहले खरीदी गई है, तो आप 1 अप्रैल 2001 का बाजार मूल्य अधिग्रहण लागत के रूप में ले सकते हैं।

सुधार लागत

  • प्रॉपर्टी पर जो भी मरम्मत या नवीनीकरण (Renovation) के खर्च हुए हैं, उन्हें भी लागत में जोड़ा जा सकता है, बशर्ते उनके उचित दस्तावेज मौजूद हों।

दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर टैक्स कितना लगता है?

अगर आपकी संपत्ति दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की श्रेणी में आती है, तो:

  • 20% की दर से LTCG टैक्स लगाया जाता है।
  • इसके अलावा सरचार्ज और हेल्थ एंड एजुकेशन सेस भी लागू होता है।

टैक्स छूट के विकल्प

आप चाहें तो नीचे दिए गए प्रावधानों के तहत टैक्स में छूट प्राप्त कर सकते हैं:

  • सेक्शन 54: यदि आप बेचने के बाद प्रॉपर्टी की रकम से नई आवासीय संपत्ति खरीदते हैं, तो टैक्स में छूट मिल सकती है।
  • सेक्शन 54EC: यदि आप लाभ की राशि को NHAI या REC जैसे सरकारी बांड्स में निवेश करते हैं, तो भी टैक्स में राहत मिल सकती है।

ध्यान दें, इन विकल्पों के लिए निश्चित समय सीमा और कुछ शर्तें लागू होती हैं।

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सह-उत्तराधिकारियों से प्राप्त हिस्से पर क्या लागू होता है?

अगर आपने अन्य उत्तराधिकारियों से संपत्ति का कोई हिस्सा खरीदा है, तो:

  • उस हिस्से के लिए अधिग्रहण की तारीख वह मानी जाएगी जब आपने वो हिस्सा खरीदा था।
  • अधिग्रहण लागत वह राशि होगी जो आपने भुगतान की है।
  • अगर इस हिस्से को 24 महीने से अधिक रखा गया है, तो यह भी दीर्घकालिक माना जाएगा।

टैक्स भरने से पहले किन बातों का रखें ध्यान?

  • संपत्ति के मूल खरीद की तारीख और लागत का पता लगाएं।
  • अगर संपत्ति 1 अप्रैल 2001 से पहले खरीदी गई थी, तो उस दिन का बाजार मूल्य जान लें।
  • सुधार कार्यों पर हुए खर्च के बिल और दस्तावेज इकट्ठा करें।
  • उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, बिक्री एग्रीमेंट, आदि जरूरी दस्तावेज सुरक्षित रखें।
  • छूट के लिए निवेश समय सीमा और पात्रता का ध्यान रखें।

निष्कर्ष: सही जानकारी से टैक्स बोझ को कम करें

विरासत में मिली संपत्ति भावनात्मक रूप से कीमती होती है, लेकिन उसे बेचते समय टैक्स नियमों को समझना भी उतना ही जरूरी है।

  • समय पर सभी दस्तावेज एकत्र करें।
  • पूंजीगत लाभ की सही गणना करें।
  • टैक्स छूट के प्रावधानों का उपयोग करें।
  • और अगर कोई भ्रम या जटिलता हो, तो किसी कर सलाहकार (Tax Consultant) से सलाह जरूर लें।

याद रखें, सही योजना और सटीक जानकारी से आप विरासत में मिली संपत्ति पर लगने वाले टैक्स को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

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