शादी से पहले लड़का-लड़की को एक कमरे में बंद करने की अनोखी परंपरा, जानिए पूरा सच
आजकल शादियाँ भव्यता और दिखावे का प्रतीक बन गई हैं। करोड़ों रुपये खर्च कर के लोग अपनी शादियों को यादगार बनाने की कोशिश करते हैं। लेकिन भारत के कुछ ग्रामीण इलाकों में आज भी पारंपरिक और सरल शादियाँ होती हैं, जहाँ रीति-रिवाजों और संस्कारों को सबसे अधिक महत्व दिया जाता है। ऐसी ही एक दिलचस्प परंपरा छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के भटगांव गाँव में देखने को मिलती है, जहाँ गोरिया जनजाति एक बेहद अनोखा रिवाज निभाती है।

मात्र 20 से 500 रुपये में तय होता है रिश्ता
गोरिया जनजाति में जब किसी लड़के और लड़की की शादी तय करनी होती है, तो दूल्हे के परिवार द्वारा लड़की के परिवार को मात्र 20 से 500 रुपये दिए जाते हैं। इस रकम को 'सगाई की निशानी' के तौर पर स्वीकार किया जाता है। इस राशि के बाद लड़की को बहू के रूप में स्वीकार कर लिया जाता है, बशर्ते लड़की की सहमति भी हो।
इस समाज में शादी को एक सौदेबाजी या व्यापार नहीं माना जाता, बल्कि इसे आपसी समझ और स्वीकृति का सुंदर बंधन समझा जाता है।
अनोखी परंपरा: शादी से पहले एक कमरे में बंद कर देना
गोरिया जनजाति की सबसे अनूठी परंपरा यह है कि शादी से पहले लड़के और लड़की को कुछ दिनों के लिए एक कमरे में बंद कर दिया जाता है। इसका उद्देश्य यह होता है कि वे एक-दूसरे को अच्छी तरह जान सकें और एक-दूसरे के स्वभाव, सोच और पसंद-नापसंद को समझ सकें।
यह प्रक्रिया उन्हें यह तय करने का अवसर देती है कि क्या वे वाकई एक-दूसरे के साथ अपना पूरा जीवन बिताना चाहते हैं या नहीं। आधुनिक समय में यह परंपरा थोड़ी अजीब लग सकती है, लेकिन इसका मूल भाव आज भी बेहद प्रासंगिक है — जीवनसाथी चुनने में समझदारी और आपसी सहमति।
आज भी निभाई जा रही हैं सदियों पुरानी परंपराएँ
आज के समय में जहाँ शादियाँ दिखावे और खर्चे का माध्यम बन गई हैं, वहीं देश के कुछ ग्रामीण इलाकों में आज भी सरलता और पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का भटगांव गाँव इसकी एक सुंदर मिसाल है, जहाँ गोरिया जनजाति आज भी अपनी अनोखी परंपराओं का पालन करती है।
अगर रिश्ता टूटता है तो पैसा वापस
गोरिया जनजाति में यदि कभी बाद में किसी कारण से रिश्ता टूट जाता है, तो शादी के समय दी गई रकम लड़की के परिवार द्वारा लौटा दी जाती है। इसके बाद लड़की को उसके परिवार द्वारा वापस ले जाया जाता है। इस व्यवस्था में पारदर्शिता और ईमानदारी का गहरा महत्व है।
संस्कृति और सभ्यता का अनूठा उदाहरण
भले ही आज दुनिया तेजी से बदल रही है, लेकिन गोरिया जनजाति की यह परंपरा आज भी जीवित है। नई पीढ़ी ने भी इसे अपनाया है और अपने संस्कारों को सम्मान के साथ आगे बढ़ा रही है। यह परंपरा न केवल सामाजिक विश्वास को मजबूत करती है, बल्कि रिश्तों में गहराई और समझदारी भी लाती है।
जानिए क्यों शादी से पहले लड़का-लड़की को कमरे में किया जाता है बंद
गोरिया जनजाति में शादी से पहले लड़के और लड़की को कुछ दिनों के लिए एक ही कमरे में रखा जाता है। इसका उद्देश्य है:
- दोनों एक-दूसरे को अच्छे से जान सकें।
- एक-दूसरे के स्वभाव, विचारधारा और आदतों को समझ सकें।
- जीवन भर साथ निभाने के लिए सही निर्णय ले सकें।
इस अनूठी परंपरा का मूल भाव है रिश्ते में पारदर्शिता और आपसी सहमति। आधुनिक समय में भी यह परंपरा नई पीढ़ी द्वारा अपनाई जा रही है।
नई पीढ़ी भी निभा रही है परंपरा
- आज के आधुनिक दौर में भी गोरिया जनजाति के लोग अपने संस्कारों और परंपराओं को संजोए हुए हैं।
- नई पीढ़ी ने इस पद्धति को न केवल अपनाया है, बल्कि गर्व के साथ आगे भी बढ़ाया है।
- यह परंपरा सिखाती है कि किसी भी रिश्ते की नींव आपसी समझ, भरोसे और स्वीकृति पर टिकनी चाहिए, न कि केवल दिखावे या धन पर।
निष्कर्ष (Conclusion)
गोरिया जनजाति की शादी से पहले लड़के-लड़की को एक कमरे में बंद करने की परंपरा आधुनिकता के इस दौर में भी अद्भुत प्रतीत होती है। इस परंपरा का उद्देश्य दो व्यक्तियों के बीच गहरा विश्वास और समझ बनाना है, ताकि वे जीवनभर खुशी से एक साथ रह सकें। यह दिखाता है कि भारतीय समाज के कुछ हिस्सों में आज भी रिश्तों को सबसे ऊपर रखा जाता है, न कि धन या प्रतिष्ठा को। गोरिया जनजाति की यह परंपरा हमें यह सिखाती है कि रिश्ते बनाने से पहले समझना और जानना सबसे महत्वपूर्ण है।