पिता की इस प्रॉपर्टी पर नहीं है बेटे का अधिकार, जानिए कोर्ट का फैसला Property Rates

Category: latest-news » Post by: Lalchand » Update: 2025-05-03

Property Rates Update: भारतीय परिवारों में संपत्ति को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है, खासकर तब जब बेटे पिता की स्व-अर्जित संपत्ति पर अपना हक जताने लगते हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि बेटे का अधिकार सिर्फ पैतृक संपत्ति पर बनता है, स्व-अर्जित संपत्ति पर नहीं—जब तक कि उसे उत्तराधिकारी घोषित न किया गया हो।

पिता की इस प्रॉपर्टी पर नहीं है बेटे का अधिकार, जानिए कोर्ट का फैसला Property Rates

✅ स्व-अर्जित और पैतृक संपत्ति में क्या है अंतर?

भारतीय कानून में संपत्ति को दो श्रेणियों में बांटा गया है:

🔹 स्व-अर्जित संपत्ति (Self-Acquired Property)

यह वह संपत्ति होती है जिसे व्यक्ति ने अपने प्रयासों, आय, व्यवसाय या निवेश से खुद अर्जित किया हो। इस पर केवल उसी व्यक्ति का अधिकार होता है जिसने उसे कमाया है। वह चाहे तो इसे किसी को दे सकता है, या न भी दे—इस पर बेटा या बेटी कोई दावा नहीं कर सकते।

🔹 पैतृक संपत्ति (Ancestral Property)

यह वह संपत्ति है जो चार पीढ़ियों से परिवार में चली आ रही हो। इसमें बेटा, बेटी और अन्य उत्तराधिकारी जन्म से ही हिस्सेदार होते हैं। इस संपत्ति को बेचना या हस्तांतरित करना हो तो सभी उत्तराधिकारियों की सहमति अनिवार्य होती है।

Aadhar Card Se Personal & Business Loan Kaise Le: आधार कार्ड से पाएं ₹4 लाख तक का लोन, 35% छुट के साथ

Aadhar Card Se Personal & Business Loan Kaise Le: आधार कार्ड से पाएं ₹4 लाख तक का लोन, 35% छुट के साथ



❌ स्व-अर्जित संपत्ति में बेटा क्यों नहीं कर सकता दावा?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यदि पिता की संपत्ति स्व-अर्जित है, तो बेटा—चाहे वह अविवाहित हो या विवाहित—उस पर कानूनी रूप से कोई दावा नहीं कर सकता। जब तक:

  • पिता खुद उसे वसीयत (Will) द्वारा संपत्ति का वारिस न बनाए,
  • या पिता स्वेच्छा से उसे उत्तराधिकारी न घोषित करे,

तब तक बेटा उस संपत्ति पर हक नहीं जता सकता।

Interest Free Aadhar Card Loan 2025 – सिर्फ आधार कार्ड पर पाएं ₹25,000 तक का बिना ब्याज लोन

Interest Free Aadhar Card Loan 2025 – सिर्फ आधार कार्ड पर पाएं ₹25,000 तक का बिना ब्याज लोन



🏛️ सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला – अंगदी चंद्रन्ना बनाम शंकर एवं अन्य (C.A. No. 5401/2025)

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि यदि कोई संपत्ति किसी व्यक्ति ने स्वयं अर्जित की है, तो वह संपत्ति स्वचालित रूप से पारिवारिक संपत्ति में नहीं बदलती। जब तक संपत्ति के मालिक की स्पष्ट मंशा न हो, तब तक अन्य सदस्य उस पर दावा नहीं कर सकते।

📜 मिताक्षरा कानून में संपत्ति का अधिकार

भारत में हिंदू उत्तराधिकार कानून के अंतर्गत "मिताक्षरा पद्धति" लागू होती है। इसके अनुसार:

  • पैतृक संपत्ति में बेटा जन्म से ही हिस्सेदार होता है।
  • लेकिन स्व-अर्जित संपत्ति पर केवल पिता का अधिकार होता है।

कोई भी बेटा जबरदस्ती उस संपत्ति को अपने नाम पर नहीं करवा सकता।

LIC Bima Sakhi Yojana Apply Online 2025: महिलाओं को हर महीने मिलेंगे 7000 रुपए, आवेदन फॉर्म भरना शुरू

LIC Bima Sakhi Yojana Apply Online 2025: महिलाओं को हर महीने मिलेंगे 7000 रुपए, आवेदन फॉर्म भरना शुरू



🔍 वसीयत नहीं हो तो कैसे बंटेगी संपत्ति?

यदि पिता की मृत्यु वसीयत के बिना हो जाती है, तो संपत्ति का बंटवारा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार किया जाएगा। इस स्थिति में:

  • स्व-अर्जित संपत्ति के मामले में यह देखा जाएगा कि संपत्ति किसे दी जानी है।
  • पैतृक संपत्ति में सभी उत्तराधिकारियों को बराबर हिस्सा मिलेगा।

निष्कर्ष:

यदि पिता की संपत्ति स्व-अर्जित है, तो बेटा तब तक उस पर अधिकार नहीं जता सकता, जब तक पिता उसे वसीयत या उत्तराधिकार द्वारा हिस्सा न दें। यह फैसला न केवल परिवारिक संपत्ति विवादों में एक मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि आम जनता को भी जागरूक करेगा कि संपत्ति का अधिकार सिर्फ जन्म से नहीं, बल्कि कानूनी रूप से निर्धारित किया जाता है।