Ind vs Pak News: केंद्र का बड़ा फैसला, नागरिकों को हमले के दौरान खुद को बचाने की ट्रेनिंग, जाने नियम और दिशानिर्देश
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने 7 मई 2025 को एक अहम और ऐतिहासिक कदम उठाया है। देश के 244 जिलों में मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिसका उद्देश्य युद्ध जैसी आपात स्थिति में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह मॉक ड्रिल नागरिक सुरक्षा की दिशा में सरकार की तैयारियों का हिस्सा है, और यह 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद पहली बार इतने बड़े स्तर पर की जा रही है।

क्यों हो रही है यह मॉक ड्रिल?
हाल ही में, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। इस घटना के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और भी गहरा हो गया है। ऐसे माहौल में सरकार किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए पहले से तैयारी करना चाहती है। मॉक ड्रिल इसी रणनीति का हिस्सा है, जिससे आपातकालीन स्थितियों में नागरिकों और प्रशासन की तत्परता का परीक्षण किया जाएगा।
मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट एक्सरसाइज क्या होती है?
मॉक ड्रिल एक पूर्व नियोजित अभ्यास होता है, जिसमें यह देखा जाता है कि यदि एयर स्ट्राइक या बम हमला जैसी कोई इमरजेंसी हो जाए तो प्रशासन और आम नागरिक कितनी जल्दी और सही तरीके से प्रतिक्रिया देते हैं।
ब्लैकआउट एक्सरसाइज के तहत एक निश्चित समय के लिए किसी इलाके की सभी लाइटें बंद कर दी जाती हैं ताकि दुश्मन के हमले की स्थिति में इलाके को अदृश्य रखा जा सके। इससे दुश्मन को सही निशाना लगाना कठिन हो जाता है।
फिरोजपुर में ब्लैकआउट मॉक ड्रिल का आयोजन
पंजाब के सीमावर्ती जिले फिरोजपुर छावनी में हाल ही में ब्लैकआउट मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। रविवार-सोमवार की रात 9 बजे से 9:30 बजे तक पूरे इलाके की बिजली काट दी गई। साथ ही 30 मिनट तक लगातार हूटर बजाए गए और प्रशासन ने नागरिकों से अपील की कि वे इस दौरान अपने घरों के अंदर ही रहें। यह ड्रिल लोगों को आपात स्थिति में कैसे सुरक्षित रहना है, इसकी व्यावहारिक समझ देने के लिए की गई।
मॉक ड्रिल का अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
भारत से पहले भी कई देश युद्ध और परमाणु हमले की आशंका को देखते हुए मॉक ड्रिल का आयोजन कर चुके हैं:
- अमेरिका (1952): अमेरिका ने 'डक एंड कवर' मॉक ड्रिल चलाई थी, जिसमें नागरिकों को परमाणु हमले से बचने के लिए मेज के नीचे सिर छुपाने और सिर को हथेली से कवर करने की ट्रेनिंग दी गई थी।
- कनाडा (1942): 'इफ डे' के तहत नकली नाजी हमले का आयोजन कर लोगों को अंधेरे में सुरक्षित रहने का अभ्यास कराया गया।
- ब्रिटेन (1980): 'स्क्वेयर लेग' नाम की एक्सरसाइज के दौरान 150 परमाणु बम हमले का सीन रचा गया, जिसमें पूरे देश में ब्लैकआउट और सायरन बजाए गए।
निष्कर्ष
भारत सरकार का यह कदम न केवल सुरक्षा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह नागरिकों में जागरूकता और आपदा के समय तैयार रहने की भावना को भी प्रबल करता है। मॉक ड्रिल और ब्लैकआउट एक्सरसाइज के माध्यम से लोगों को यह सिखाया जाएगा कि युद्ध जैसी स्थिति में कैसे सतर्क और सुरक्षित रहा जा सकता है। यह एक सावधानी है, न कि डर का माहौल—और यही आज की जरूरत है।