घर में रखें इस सोने की मार्केट में नहीं होगी बिक्री, जान लेना सरकार के नए नियम Gold Rules
भारत में सोने की खरीददारी न सिर्फ एक परंपरा है, बल्कि यह निवेश का एक सुरक्षित माध्यम भी माना जाता है। खासकर शादी-ब्याह, त्योहार और शुभ अवसरों पर सोना खरीदने का चलन सदियों से चला आ रहा है। लेकिन अब अगर आप पुराने गहनों को बेचना या एक्सचेंज करना चाहते हैं, तो आपको कुछ नए नियमों को जानना बेहद जरूरी है। सरकार ने हाल ही में सोने की शुद्धता और उसकी पहचान को लेकर कुछ सख्त कदम उठाए हैं।

अब हॉलमार्किंग है अनिवार्य
भारत सरकार ने सोने की शुद्धता की पुष्टि के लिए BIS हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब सिर्फ वही सोने के गहने या आभूषण बाजार में बेचे या बदले जा सकते हैं, जिन पर BIS (भारतीय मानक ब्यूरो) का चिह्न और शुद्धता जैसे 22K, 18K आदि का स्पष्ट संकेत मौजूद हो। यह कदम उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी से बचाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
बिना हॉलमार्क गहनों को बेचने में मुश्किल
अगर आपके पास पुराने या बिना हॉलमार्क वाले सोने के गहने हैं, तो आप उन्हें सीधे ज्वैलर को नहीं बेच सकते। ऐसे गहनों को पहले BIS प्रमाणित हॉलमार्किंग सेंटर में जांच के लिए भेजना होगा। वहां से प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही आप इन्हें बाजार में बेच या एक्सचेंज कर पाएंगे।
हॉलमार्किंग के दो आसान विकल्प
आप दो तरीकों से अपने गहनों को हॉलमार्क करा सकते हैं:
- ज्वैलर के माध्यम से: आप अपने गहने किसी BIS पंजीकृत ज्वैलर के पास ले जाएं। वह उन्हें हॉलमार्किंग सेंटर भेजेगा और आपको प्रमाणित गहने लौटाएगा।
- स्वतः केंद्र पर जाएं: आप चाहें तो सीधे हॉलमार्किंग सेंटर जाकर भी अपने गहनों की जांच और हॉलमार्किंग करवा सकते हैं।
हॉलमार्किंग का शुल्क कितना है?
सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क के अनुसार:
- प्रति गहना ₹45
- चार से अधिक गहनों के लिए अधिकतम शुल्क ₹200
यह शुल्क एक सामान्य उपभोक्ता के लिए काफी किफायती है, और इससे आपके गहनों का मूल्य कई गुना बढ़ जाता है।
हॉलमार्किंग रिपोर्ट का लाभ कैसे लें?
हॉलमार्किंग सेंटर द्वारा जारी प्रमाणपत्र/रिपोर्ट में आपके गहनों की शुद्धता, वजन और गुणवत्ता का पूरा विवरण होता है। इस रिपोर्ट को आप किसी भी अधिकृत ज्वैलर को दिखाकर अपने गहनों की बिक्री या एक्सचेंज की प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।
कौन-कौन से गहने हॉलमार्किंग से हैं मुक्त?
हालांकि सरकार ने कुछ खास मामलों में हॉलमार्किंग से छूट भी दी है। ये हैं:
- जिन ज्वैलर्स का वार्षिक टर्नओवर ₹40 लाख से कम है।
- 2 ग्राम से कम वजन वाले गहने।
- निर्यात के लिए बनाए गए गहने।
- अंतरराष्ट्रीय या सरकार द्वारा स्वीकृत प्रदर्शनियों के लिए तैयार गहने।
- वैज्ञानिक, चिकित्सा, औद्योगिक उपकरण या वस्तुएं।
- सोने की घड़ियाँ, फाउंटेन पेन और कुछ विशेष डिजाइन वाले आभूषण।
पुराने गहनों को बेचने से पहले क्या करें?
यदि आपके पास बिना हॉलमार्क वाला पुराना सोना है, तो उसे जल्द से जल्द किसी हॉलमार्किंग सेंटर में प्रमाणित करवा लें। इससे भविष्य में उसे बेचने या एक्सचेंज करने में कोई परेशानी नहीं होगी, और आप उसके असली मूल्य का भी पूरा लाभ उठा सकेंगे।
निष्कर्ष - Gold Rules In Hindi
सरकार का यह कदम उपभोक्ताओं को बेहतर सुरक्षा और पारदर्शिता प्रदान करने के लिए उठाया गया है। यदि आप भी अपने पुराने गहनों को बेचना चाहते हैं, तो उन्हें हॉलमार्क कराना अब जरूरी है। इससे न सिर्फ उनकी विश्वसनीयता बढ़ती है, बल्कि बाजार में उनके अच्छे दाम भी मिलते हैं।